Hidden Waterfalls in Madhya Pradesh मध्य प्रदेश के हरे-भरे जंगलों के बीच छिपा है एक चमत्कारी स्थल — रामरमा जलप्रपात
बालाघाट जिले मे बालाघाट से करीब 30 किमी. दूर स्थित Ramrama Waterfall न सिर्फ अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, बल्कि यह आस्था और भक्ति का केंद्र भी बन चुका है। यह अद्भुत झरना 24 घंटे भगवान शिव का प्राकृतिक जलाभिषेक करता है, जिसे देखने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं।

रामरमा जलप्रपात: बालाघाट का प्रकृति और आस्था से भरपूर चमत्कार
मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले से लगभग 40 किलोमीटर और वारासिवनी तहसील से 20 किलोमीटर दूर स्थित रमरमा प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक आस्था का अद्वितीय संगम है। यहाँ कल-कल बहते पानी के करीब आधा दर्जन झरने देखने को मिलते हैं, जिन्हें स्थानीय लोग “झरनों का गुच्छा” भी कहते हैं।
इन झरनों के किनारे बने प्राकृतिक सीढ़ीनुमा रास्ते ट्रेकिंग के शौकीनों के लिए किसी रोमांच से कम नहीं। लेकिन सबसे खास बात है — वह झरना जो वर्ष भर बहता है और 24 घंटे भगवान शिव का प्राकृतिक जलाभिषेक करता है।
पौराणिक मान्यता है कि घूमते-घूमते भगवान शिव को यह स्थान इतना रमणीय लगा कि वे यहीं “रम” गए — और तभी से इसका नाम पड़ा “रमरमा”।
हर साल सावन और महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है, और यह स्थान भक्ति, प्राकृतिक सौंदर्य और शांति की त्रिवेणी में बदल जाता है।
रमरमा क्षेत्र की पहाड़ियों में कई गुफाएं बनी हुई हैं। इन गुफाओँ में मूर्तियां विराजमान है। इन मूर्तियों से लाखों भक्तों की आस्था जुड़ी हुई है। पहाड़ों के बीच बनी ऐसी ही एक गुफ़ा में शिवलिंग, माता पार्वती और भगवान गणेश की मूर्तियां अलग अलग स्थानों में विराजमान है। यहां भक्त अपनी मनोकामना लेकर पहुंचते है । वारासिवनी वन परिक्षेत्र के अंतर्गत आने वाले इस वाटर फॉल को रमरमा महादेव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है ।

Ramrama Shiv Waterfall शिवलिंग से 900 फ़ीट ऊपर विराजमान है माता पार्वती
यहां पहाड़ी में एक संकरी गुफ़ा है, जहां प्राचीन बड़ा शिवलिंग है और इसके ठीक 900 फ़ीट ऊपर एक गुफ़ा में माता पार्वती विराजमान हैं। इस प्राचीन शिव मंदिर के पास एक शिवलिंग भी है, जिसका जलाभिषेक झरना 24 घंटे करता है ।
- शिवरात्रि और सावन में उमड़ता है जनसैलाब
- शिवपुराण में भी है उल्लेख
